मित्रो मेरा नाम अंशुल है और मै उदयपुर कारहने वाला हु | मै आज आपको मेरे साथ घटी सच्ची घटना से अवगत कराना चाहता हु | यह बात आज से दो साल पहले की है मैंने एक सरकारी परीक्षा का फॉर्म भरा था और मेरा परीक्षा केंद्र जयपुर आया था |
किस्मत से मेरे दो ओर दोस्तों का केंद्र भी जयपुर हीआया था हालंकि परीक्षा केंद्र अलग अलग जगह था |अब हम तीनो दोस्तों ने जयपुर जाने के प्लान के प्लान के बारे में सोचने लगे | परीक्षा का दिन रविवार था और हमको शनिवार को ही निकलना था |
हम दोस्तों ने सोचा कि अगर हम शनिवार को ही चले जायेंगे तो हमे रात को किसी होटल में रुकना पड़ेगा और उसकाकोई मतलब नहीं होगा तो मेरे दोस्त पियूष के पास कार थी और उसने कार में जाने की बातकही | हमने सोचा ये ज्यादा बेहतर रहेगा कार में सफर भी आसान होगा और अगले दिन जयपुर भी घूम लेंगे |
अब हम तीनो दोस्त शनिवार शाम को खाना खाकरपियूष के घर पहुच गये | हम तीनो से सोचा यहा से रात को ग्यारह बजे निकलेंगे और सुबह 5-6 बजे तक पहुच जायेंगे और हमारी परीक्षा का समय 9 बजे था |
अब हम तीनो 11 बजे उदयपुर से रवाना हो गये | हर स्टूडेंटकी तरह परीक्षा तो एक बहाना था लेकिन हमकोतो जयपुर घूमना था | हमने कार में म्यूजिक चला दिया और बाते करते हुए जा रहे थे |
रात को 2 बजे हमने भीलवाडा शहर पार कर लिया था भीलवाडा से 20 किमी की दूरी ही हमने पार की होगी हमे रास्ते में दूर से एक गाडी खडी हुई दिखाई दी | तभी हमको हाथ का इशारा करती हुई एक औरत मारुती आल्टो गाडी के पास दिखाई दी |
मैंने तो भुत की काफी कहानिया सुन रखी थी कि किस तरह सुनसान सडक पर आत्माए पीछे पड़ जाती है | मैंने पियूष को गाडी रोकने से मना कर दियालेकिन पियूष बोल रहा था कि हमे उसकी मदद करनी चाहिए | लेकिन मैंने पियूष को कसम दिलाकर वहा से निकल जाने को कहा |
जब हमने उस औरत की गाडी को पार किया मेरी जान में जान आयी | अब हम शायद 5 किलोमीटर ही चले होंगे हमे वो गाडी फिर से दिखाई दी और वो औरत भी खडी थी |
हमे तो विश्वास नहीं हो रहा था और हमारे डर के मारे पसीने छुट रहे थे कि आज ये आत्मा हमको मारकर ही छोड़ेगी | मैंने पियूष को गाडी की गति बढ़ाने को कहा और उसने 120 से भी ज्यादा स्पीड से गाडी भगाना शुरू कर दिया और हमनेफिर उस गाडी को पार कर दिया |
पियूष भी अब बहुत डर चूका था और तभी हमे एकढाबा नजर आया | हमने सोचा थोड़ी देर यहा रुकते है ताकि डर तोडा कम होवे |
पियूष ने ढाबे पर गाडी रोक दी और फिर हमने अपना मुह धोया और चाय मंगाई | ढाबेवाला ने हमको देखकर पूछा कि तुम लोग इतने घबराए हुए क्यों हो | तो हमने ढाबे वाले को सारी बात बताई |
हम लोग उसकी बात सुनकर ओर ज्यादा डरगये | उसने बोला अब डरने की कोई बात नहीं अब तुम निकल सकते हो |
हम 4 बजे उस ढाबे से रवाना हुए और उस आत्माके बारे में बाते करते हुए सुबह 8 बजे जयपुर पहुचे और जब हम तीनो परीक्षा देकर आये तो हमने अगले दिन सुबह जयपुर से रवानाहोने की बात कही ताकि उस आत्मा का फिर से सामना ना हो |
तो दोस्तों आपने भी कभी किसीहाईवे पर ऐसे किसी आत्मा से सामना किया तोअपने अनुभव हमे कमेंट में जरुर बताये |
किस्मत से मेरे दो ओर दोस्तों का केंद्र भी जयपुर हीआया था हालंकि परीक्षा केंद्र अलग अलग जगह था |अब हम तीनो दोस्तों ने जयपुर जाने के प्लान के प्लान के बारे में सोचने लगे | परीक्षा का दिन रविवार था और हमको शनिवार को ही निकलना था |
हम दोस्तों ने सोचा कि अगर हम शनिवार को ही चले जायेंगे तो हमे रात को किसी होटल में रुकना पड़ेगा और उसकाकोई मतलब नहीं होगा तो मेरे दोस्त पियूष के पास कार थी और उसने कार में जाने की बातकही | हमने सोचा ये ज्यादा बेहतर रहेगा कार में सफर भी आसान होगा और अगले दिन जयपुर भी घूम लेंगे |
अब हम तीनो दोस्त शनिवार शाम को खाना खाकरपियूष के घर पहुच गये | हम तीनो से सोचा यहा से रात को ग्यारह बजे निकलेंगे और सुबह 5-6 बजे तक पहुच जायेंगे और हमारी परीक्षा का समय 9 बजे था |
अब हम तीनो 11 बजे उदयपुर से रवाना हो गये | हर स्टूडेंटकी तरह परीक्षा तो एक बहाना था लेकिन हमकोतो जयपुर घूमना था | हमने कार में म्यूजिक चला दिया और बाते करते हुए जा रहे थे |
रात को 2 बजे हमने भीलवाडा शहर पार कर लिया था भीलवाडा से 20 किमी की दूरी ही हमने पार की होगी हमे रास्ते में दूर से एक गाडी खडी हुई दिखाई दी | तभी हमको हाथ का इशारा करती हुई एक औरत मारुती आल्टो गाडी के पास दिखाई दी |
मैंने तो भुत की काफी कहानिया सुन रखी थी कि किस तरह सुनसान सडक पर आत्माए पीछे पड़ जाती है | मैंने पियूष को गाडी रोकने से मना कर दियालेकिन पियूष बोल रहा था कि हमे उसकी मदद करनी चाहिए | लेकिन मैंने पियूष को कसम दिलाकर वहा से निकल जाने को कहा |
जब हमने उस औरत की गाडी को पार किया मेरी जान में जान आयी | अब हम शायद 5 किलोमीटर ही चले होंगे हमे वो गाडी फिर से दिखाई दी और वो औरत भी खडी थी |
हमे तो विश्वास नहीं हो रहा था और हमारे डर के मारे पसीने छुट रहे थे कि आज ये आत्मा हमको मारकर ही छोड़ेगी | मैंने पियूष को गाडी की गति बढ़ाने को कहा और उसने 120 से भी ज्यादा स्पीड से गाडी भगाना शुरू कर दिया और हमनेफिर उस गाडी को पार कर दिया |
पियूष भी अब बहुत डर चूका था और तभी हमे एकढाबा नजर आया | हमने सोचा थोड़ी देर यहा रुकते है ताकि डर तोडा कम होवे |
पियूष ने ढाबे पर गाडी रोक दी और फिर हमने अपना मुह धोया और चाय मंगाई | ढाबेवाला ने हमको देखकर पूछा कि तुम लोग इतने घबराए हुए क्यों हो | तो हमने ढाबे वाले को सारी बात बताई |
हम लोग उसकी बात सुनकर ओर ज्यादा डरगये | उसने बोला अब डरने की कोई बात नहीं अब तुम निकल सकते हो |
हम 4 बजे उस ढाबे से रवाना हुए और उस आत्माके बारे में बाते करते हुए सुबह 8 बजे जयपुर पहुचे और जब हम तीनो परीक्षा देकर आये तो हमने अगले दिन सुबह जयपुर से रवानाहोने की बात कही ताकि उस आत्मा का फिर से सामना ना हो |
तो दोस्तों आपने भी कभी किसीहाईवे पर ऐसे किसी आत्मा से सामना किया तोअपने अनुभव हमे कमेंट में जरुर बताये |
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