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Thursday 17 December 2015
कब्रिस्तान में लगी वो शर्त ...
पढ़ने वाले इस कहानी को भी मनगढ़ंत मानकर नजरअंदाज कर देंगे लेकिन किसी के मानने या ना मानने से सच तो नहीं बदलसकता और सच यही है कि उस रात एक छोटी सी शर्त लगाकर शायद मैंने अपने जीवन के सबसे भयानक और खौफनाक पल को आमंत्रित किया था. बात आज से 5 साल पहले की है. मैंने अपनी जॉब चेंज की और जिस कंपनी को जॉइन किया उसका हेड क्वार्टर बंगलुरू में था. एक सेमिनार के लिए मुझे अपने ऑफिस की तरफ से बंगलुरू जाना पड़ा जहां अन्य शहरों में स्थित ब्रांचों से भी लोग आए थे. उन्हीं सब लोगों में से तीन अजय, नवीन और अमित से मेरी अच्छी दोस्ती हो गई. हम चारो कंपनी के गेस्ट हाउस में रुके हुए थे. 2 दिन तक चलने वाले इस सेमिनार का टाइम सुबह 9 से 5:30 तक का था इसीलिएहम तीनों के पास काफी समय बच जाता था. अजय, नवीन और अमित के स्वभाव एक-दूसरे से पूरी तरह अलग थे. अजय बहुत बातूनी औरमजाकिया था वहीं नवीन बहुत कम बोलता था. नवीन की ही तरह अमित भी थोड़ा रिजर्व था लेकिन उसका सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत मजेदार था. एक बार हम सभी साथ बैठेहुए थे तभी अजय ने कहामैंने देखा है होटल के पीछे एक कब्रिस्तान है, अगर टाइम मिला तो वहां जरूर जाएंगे.अगले दिन तड़के सुबह हमें अपने-अपने शहरों के लिए निकलना था इसीलिए रात के समय हम सभी ने सोचा क्यों ना एक साथ कुछअच्छा समय बिताया जाए. सभी लोग मेरे कमरे में एकत्रित हुए और वहीं खाना-पीना मंगवा लिया. ड्रिंक तो हम सभी ने की लेकिन अजय को कुछ ज्यादा ही नशा हो गया था. अजय ने फिर से वहीं कब्रिस्तान का जिक्र छेड़ दिया. नवीन जो ऐसी जगह जाना या बात करना बिल्कुल पसंद नहीं करता था उसने अजय को चुप हो जाने के लिए कहा लेकिन अजय कहां किसी की सुनने वाला था. अजय चुप नहीं हुआ और गुस्से में आकर नवीन ने उसे कब्रिस्तान में एक घंटे बिताकर आने जैसे शर्त लगा दी. नशे में धुत्त अजय जाने लगा तो मैं भी उसके साथ ही चला गया.कब्रिस्तान के बाहर पहुंचे ही थे कि एकबेहद वृद्ध से दिखने वाले व्यक्ति, अबू चाचा ने हमें रोक दिया. उसने कहा इतनी रात को अंदर जाना खतरनाक है. वैसे भी यहजगह मृत लोगों का घर है. इस समय उन्हें परेशान करना तुम्हें महंगा पड़ सकता है. ना अजय और ना ही मैं ऐसी बातों पर विश्वास करते थे इसीलिए मैंने उन्हें बोलामेरे बहुत करीबी रिश्तेदार की कब्र यहां है, मैं कल वापस लंदन जा रहा हूं इसीलिए एक बार यहां आना चाहता थ अबू चाचा भावुक हो गए और हमें अंदर जाने दिया. अंदर जाते ही मुझे और अजय कोऐसा लगा कि कोई हमारा गला दबा रहा है. हमें सांस आनी बंद होने लगी. जहां तक मेरी नजरें जा रही थीं सिर्फ और सिर्फ अंधेरा था कि अचानक मुझे एक परछाई अपनेआसपास घूमती दिखाई देने लगी. यूं तो कब्रिस्तान में प्रवेश करने से ही मुझे अजीब सा महसूस होने लग गया था लेकिन सांस ना आना और सांस लेने पर अजीब सी बदबू का अहसास होना बेहद भयावहहो गया था. अचानक किसी ने मेरे और अजय के पैरों को पकड़ लिया. लेकिन किसने यह हमें समझ नहीं आ रहा था. हम ना तो सांस ले पा रहे थे और ना ही आगे बढ़ पा रहे थे. अचानक एक व्यक्ति दूर से भाग-भाग चिल्लाता आया. वह हमारे पास दौड़कर आयाऔर जमीन पर अपनी लाठी से वार करने लगा. वह किसे मार रहा था हमें नहीं पता लेकिन उसके ऐसा करने से हमारे पैरों कीजकड़न जरूर खत्म हुई.अचानक वह हम पर बरस पड़ा कि इतनी रात गएहम यहां क्या कर रहे हैं. उसने बताया यहां कई दुष्ट आत्माएं रहती हैं जो रातके समय सक्रिय हो जाती हैं. उसका रोज उनआत्माओं से सामना होता था इसीलिए अब उन्हें भगाना उसकी आदत बन गया था. हमने उसे बोला कि हम अबू चाचा से पूछकर ही अंदर आए हैं और उन्होंने तो कुछ ऐसा नहीं बताया. उसने कहा कौन अबू चाचा, यहां का गार्ड मैं हूं. उसने बोलाआपसे पहले भी बहुत से लोगों ने एक वृद्ध को कब्रिस्तान के आसपास देखने की बात कही है लेकिन मुझे कभी वह नजर नहीं आया.गार्ड के मुंह से यह सब सुनकर हम और ज्यादा देर तक नहीं रुक पाए और सुबह के लगभग 3:30 बजे होटल पहुंचकर हमने चैन की सांस ली.
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